किसी के बनाए सुंदर चित्रों को देखकर
मन ही मन एक आवाज़ उठी
क्या परियोजन है मेरा इस जगत में
किसी ने बड़े अविष्कार किए
किसी ने लोगों को जीवनदान दिए
मन ही मन दोबारा आवाज़ उठी
क्या मेरे कर्म ने जीवन तारे
किसी का कौशल युद्ध में दिखा
किसी ने अपना परचम शिखरों पर फहराया
मन ही मन वही आवाज़ उठी
क्या उपयोगी रहा मेरा जन्म
किसी ने बड़े संगठनों को जन्म दिया
किसी का कौशल बड़ी इमारतों में दिखा
मन ही मन फिर वही आवाज़ उठी
क्या इस जीवन को भरपूर जिया
कई दिनों तक इस ख़याल ने
बेचैन किया रातों को जगाया बहुत
मन के प्रश्न दूर नहीं हुए कभी
सोचा बहुत तो एक ही ख़याल आया।
शायद मेरे होने से ज़्यादा
और कुछ ज़रूरी नहीं था
मेरे साथ चलने वालों के लिए
मेरा होना ही काफ़ी था।
No comments:
Post a Comment