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Friday, December 25, 2020

धूमकेतु - Shooting Star

 दूर बादलों की ओट से  क्षितिज के समीप 

एक प्रकाश पुंज निकला और आकाश के मध्य विलुप्त हो गया 


किसी ने उसे अपनी आँखों में भर लिया 

किसी ने उसे एक तसवीर में क़ैद कर लिया 


मंत्रमुग्ध कुछ पलों के लिए आकाश पर दृष्टि टिक गयी 

कुछ ने ईश्वरीय चमत्कार समझ एक एक वरदान माँग लिया 


वह समय था जब काले गगन को चीर के 

मानो एक सुनहरी खड़ग ने उजाला कर दिया 


किसी ने कहा धूमकेतु है ये गहरे काले अंधकार में 

क्षण मात्र के लिए आशा का प्रकाश भर गया 


था वह स्वछंद पूरे आकाश का मानो स्वामी 

आशाओं से भरी और संकल्पों से सजी शुरुआत 


उसकी योजनाओं की कोई सीमा  थी 

उसके विश्वास में भी कोई कमी  थी 


और बनके उसे धूमकेतुपूरी धरा  को 

आशा और प्रकाश से भर देना था 


नहीं था उसकी सोच में अपना कोई भविष्य 

न ही था उसका इरादा क्षणभंगुर जीवन का 


जगत सारा एक अंधकार में डूबा था

करना था उसे सबको जागृत प्रकाशित 


पर समय का निश्चय जैसे कुछ और ही था 

पर वह न कर पाया जो उसने सोचा था 


वह धूमकेतु एक उल्का पिंड बन अस्त हुआ 

अनंत नहीं, बस कुछ समय ही जीवन रहा 


क्षण भर के लिए प्रकाशित किया इस धरती को  

जहां उसे अनंत ज्योति बन कर रहना था 





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